भारत एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक राष्ट्र है । भारत विश्व का सबसे बडा लोकतंत्र होने का गौरव रखता है । लोकतंत्र का अर्थ है, जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा । हमारा संविधान हर भारतिय नागरिक को मतदान का मौलिक और बुनियादी अधिकार प्रदान करता है ।
लोकसभा चुनाव एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है जिसमें देश की जनता द्वारा सरकार का चुनाव किया जाता है । भारत में चुनाव प्रणाली एक प्रतिनिधिक लोकतंत्र (Representative democracy) का प्रकार है जिसमें जनता समूह द्वारा पदाधिकारी चुने जाते हैं, जो मतदाताओं के निमित्त निर्णय लेते हैं ।
भारत में सामान्यत: हर पांच वर्ष में लोकसभा चुनाव आयोजित होते हैं जिसमें उम्मिदवार अपनी नेतृत्वक्षमता, ज्ञान, अनुभव और चुनावी वादों के आधार पर मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं ।
भारत के प्रत्येक व्यस्क नगरिक (18 वर्ष और उससे अधिक उम्र) को जाति, शिक्षा, धर्म, रंग, प्रजाति और आर्थिक परिस्थितियों के दायरे से स्वतंत्र होकर वोट देने का अधिकार प्राप्त है ।
किसी दल या उम्मिदवार की विचारधारा से प्रेरित होकर अथवा व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर, देशहित में काम कर सकने वाले प्रतिभागीयों को जनता द्वारा चुन कर लोकसभा में अगले पांच वर्ष के लिये भेजा जाता है ।
लोकसभा चुनाव विभिन्न मुद्दों के स्थायी समाधान के लिये अत्यंत आवश्यक हैं, जैसे- सामाजिक सामानता, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, शोषण, सुरक्षा, देशप्रगति, विकास, तकनीकी क्षेत्र, वैश्विक संतुलन ईत्यादी ।
यह हमारे राष्ट्र के मूलभूत उपकरणों में से एक है । मतदान प्रक्रिया हमारे देश और लोगों के भविष्य को निर्धारित करने का एक सुनहरा अवसर है । प्रत्येक वोट परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जिसकी जिम्मेदारी हर एक भारतीय नागरिक पर है ।
वर्तमान में मतदाता, मतदान करने हेतु कानूनन बाध्य नहीं है अर्थात मतदान वैकल्पिक है परंतु यह एक बड़ी जिम्मेदारी है । इन सभी कारणों से मतदान एक महत्वपूर्ण और ज़रूरी कार्य है जो हर नागरिक को निभाना चाहिए । यह हमारे लोकतंत्र को मजबूत और सुरक्षित रखने का माध्यम है ।
The ballot is stronger than bullet- Abraham Lincoln